Tuesday, 20 November 2018

त्रिभुवनकीर्ति रस की निर्माण विधि,सामान्य गुण और मात्रा Tribhuvanakirti Ras

त्रिभुवनकीर्ति रस की निर्माण विधि,सामान्य गुण और मात्रा-


त्रिभुवनकीर्ति रस - 


घटक द्रव्य -

  • शुद्ध हिंगुल     = 10 ग्राम 
  • शुद्ध वत्सनाभ = 10 ग्राम 
  • सोंठ / शुण्ठी   = 10 ग्राम
  • पिप्पली          = 10 ग्राम
  • काली मिरच   = 10 ग्राम
  • शुद्ध सुहागा   = 10 ग्राम 
  • तुलसी स्वरस = 10 ग्राम 
  • अदरक रस   = 10 ग्राम
  • धतूरा रस      = 10 ग्राम भावना देने के लिए | 


निर्माण विधि -  ऊपर बताई सभी औषधि द्रव्यों का 10-10  ग्राम लेकर एक-एक करके अच्छी तरह मिला लें, इसके बाद इसको अच्छी तरह घोट कर इसका कल्क बना लें, इसका पेस्ट बनाने के लिए तुलसी का रस प्रयोग किया जाता है|  मर्दन करते हुए या घोटते हुए अगर यह सूखने लगे तो फिर तुलसी का रस डालकर अच्छी तरह से पीसें, ऐसा तीन बात दोहराएं | यही विधि धतूरा रस और अदरक रस का प्रयोग करते समय भी दोहरायें | जब कल्क हाथों की अँगुलियों से चिपकना बंद हो जाये तो इसकी निर्माण क्रिया को अंतिम रूप देना चाहिए, और कल्क की छोटी - छोटी गोली बना लेनी चाहिए | 

मात्रा -  60 - 125 mg. दिन में एक से दो बार भोजन के बाद | 

अनुपान - इसका प्रयोग शहद, अदरक रस, तुलसी रस, के साथ किया जाता है | 

सामान्य गुण -  त्रिभुवनकीर्ति रस का प्रयोग उष्णवीर्य, वातज्वर, कफज्वर, नवज्वर, पीनस, जुकाम, न्यूमोनिया, आदि में किया जाता है |  

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