त्रिभुवनकीर्ति रस की निर्माण विधि,सामान्य गुण और मात्रा-
त्रिभुवनकीर्ति रस -
घटक द्रव्य -
- शुद्ध हिंगुल = 10 ग्राम
- शुद्ध वत्सनाभ = 10 ग्राम
- सोंठ / शुण्ठी = 10 ग्राम
- पिप्पली = 10 ग्राम
- काली मिरच = 10 ग्राम
- शुद्ध सुहागा = 10 ग्राम
- तुलसी स्वरस = 10 ग्राम
- अदरक रस = 10 ग्राम
- धतूरा रस = 10 ग्राम भावना देने के लिए |
निर्माण विधि - ऊपर बताई सभी औषधि द्रव्यों का 10-10 ग्राम लेकर एक-एक करके अच्छी तरह मिला लें, इसके बाद इसको अच्छी तरह घोट कर इसका कल्क बना लें, इसका पेस्ट बनाने के लिए तुलसी का रस प्रयोग किया जाता है| मर्दन करते हुए या घोटते हुए अगर यह सूखने लगे तो फिर तुलसी का रस डालकर अच्छी तरह से पीसें, ऐसा तीन बात दोहराएं | यही विधि धतूरा रस और अदरक रस का प्रयोग करते समय भी दोहरायें | जब कल्क हाथों की अँगुलियों से चिपकना बंद हो जाये तो इसकी निर्माण क्रिया को अंतिम रूप देना चाहिए, और कल्क की छोटी - छोटी गोली बना लेनी चाहिए |
मात्रा - 60 - 125 mg. दिन में एक से दो बार भोजन के बाद |
अनुपान - इसका प्रयोग शहद, अदरक रस, तुलसी रस, के साथ किया जाता है |
सामान्य गुण - त्रिभुवनकीर्ति रस का प्रयोग उष्णवीर्य, वातज्वर, कफज्वर, नवज्वर, पीनस, जुकाम, न्यूमोनिया, आदि में किया जाता है |
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