हिम कल्पना एवं फाण्ट कल्पना और उनकी मात्रा ।
हिम कल्पना : इस कल्पना में द्रव्य का यवकूट चूर्ण कर मिट्टी की हांड़ी में गरम जल डालकर पूरी रात भिगोकर रख दे। और सुबह इन द्रव्यों को हाथ से अच्छी तरह मसलकर कपड़े से छान कर बर्तन में रखा जाता है। इसको हिम या शीत कल्पना कहते है। इस कल्पना में जल की मात्रा औषधि द्रव्य से 6 गुना ज्यादा होती है जैसे 4 तोला द्रव्य में 24 तोले जल ।
हिम की मात्रा : 2 पल = 8 तोला
फाण्ट कल्पना : मिट्टी की एक हांड़ी में 16 तोले जल को उबाले । जब जल उबलने लगे तो उसमे 4 तोला मृदु द्रव्यों का यवकूट चूर्ण डालकर अच्छी प्रकार ढक कर चूल्हे से उतार कर ठंडा होने के लिए रख दे । ठंडा होने के बाद हाथ से मसलकर वस्त्र से छानकर रोगी को पीने को दें। इस कल्पना को फाण्ट कहते है।
मात्रा : 2 पल = 8 तोला ।
हिम कल्पना : इस कल्पना में द्रव्य का यवकूट चूर्ण कर मिट्टी की हांड़ी में गरम जल डालकर पूरी रात भिगोकर रख दे। और सुबह इन द्रव्यों को हाथ से अच्छी तरह मसलकर कपड़े से छान कर बर्तन में रखा जाता है। इसको हिम या शीत कल्पना कहते है। इस कल्पना में जल की मात्रा औषधि द्रव्य से 6 गुना ज्यादा होती है जैसे 4 तोला द्रव्य में 24 तोले जल ।
हिम की मात्रा : 2 पल = 8 तोला
फाण्ट कल्पना : मिट्टी की एक हांड़ी में 16 तोले जल को उबाले । जब जल उबलने लगे तो उसमे 4 तोला मृदु द्रव्यों का यवकूट चूर्ण डालकर अच्छी प्रकार ढक कर चूल्हे से उतार कर ठंडा होने के लिए रख दे । ठंडा होने के बाद हाथ से मसलकर वस्त्र से छानकर रोगी को पीने को दें। इस कल्पना को फाण्ट कहते है।
मात्रा : 2 पल = 8 तोला ।
अच्छी व सटीक व्याख्या है पर हिम, फाण्ट - दो ही क्यों ? कृपया अनय भी यहीं बतायें।
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