TOPIC - 4
विषदाता, विषकन्या, विषाक्त अन्नपान आदि के लक्षण एवं प्रतिकार
विषदाता
विषदाता - किसी भी प्राणी को शारीरिक या मानसिक रूप से नुक्सान पहुंचाने के लिए जो व्यक्ति जहर देता है वह विषदाता कहलाता है किसी की हत्या करने के प्रयोजन से विष / जहर देना अपराध है | आचार्य सुश्रुत के अनुसार विषदाता के निम्नलिखित लक्षण है |
मनुष्य के संकेत या इशारों को समझने वाला चतुर, बुद्धिमान मनुष्य
वाणी, चेष्टा, मुख के भाव आदि से विष देने वाले व्यक्ति या विषदाता को पहचान लेता है | यदि विष देने वाले व्यक्ति से प्रारंभिक काल में पूछा जाये तो वह उत्तर नहीं देता है, बोलने की इच्छा करने पर वह घबऱा जाता है | पूछने पर व्यर्थ की बातें करता है | अपने आपको मुर्ख जैसा प्रदर्शित करता है, बिना बात के हँसता रहता है उसका शरीर डर के कारण कंपता है कभी कभी वह डर से इधर उधर देखता है | उसका मुख उतरा रहता है बार बार अपने हाथों से सिर के बाल सहलाता रहता है | वह दौड़ने का प्रयास करता है जाते समय वह पीछे मुड़कर देखता रहता है कि कोई उसको पकड़ने के लिए तो नहीं आ रहा है |
ये सभी लक्षण व्यक्ति के अपराध बोध का कारण उत्पन्न मानसिक दुर्बलता से होता है |
आचार्य चरक के अनुसार जो मनुष्य किसी को विष देने आता है उसको इस बात का भय रहता है कि वह पकड़ा न जाये | वह या तो अपने अपराध को छुपाने के लिए बहुत बोलता है या थोड़ा बोलता है उसके मुख का रंग उड़ा होता है |
विषकन्या
विषकन्या - प्राचीन काल में राजा लोग अपने दुश्मनों की हत्या करने के लिए विषकन्या का भी प्रयोग किया करते थे | इसके लिए छोटी कन्या को जन्म से ही थोड़ा थोड़ा विष का पान कराया जाता था उसके बाद धीरे धीरे विष की मात्रा को बढ़ा दिया जाता था | इस प्रकार पली हुई कन्याएं बड़ी होकर इतनी ज़हरीली हो जाती थी कि उनके श्वास ( साँस ) और स्पर्श से ही शत्रु मर जाते थे और राजा लोग इनका प्रयोग दुश्मनों को मरने के लिए किया करते थे | विषकन्या क निम्नलिखित लक्षण होते है |
1) विषकन्या के माथे पर पुष्प या कोमल पत्र रखने पर वह मुरझा जाते है |
2) उसकी शय्या ( चारपाई ) के खटमल, जुएँ और कीट मर जाते है|
3) उसके स्नान के जल से मक्खियां और मच्छर मर जाते है |
4) विषकन्या जिसको भी स्पर्श करती है उसकी मृत्यु हो जाती है |
विषकन्या का प्रयोग प्राचीन काल में व्यापक रूप में युद्धों में होता था विषकन्या का प्रयोग अनेक युद्धों में करने का वर्णन मिलता है |
विषाक्त अन्नपान आदि के लक्षण एवं प्रतिकार
अन्न प्राणियों के प्राण है | यदि इसमें विष मिला हो तो ये प्राणो का नाश कर देता है | कुछ लोग आहार द्रव्यों के प्रति बड़े स्वेदनशील होते है विष वाले द्रव्यों के सेवन से उसी समय लक्षण उत्पन्न होने लगते है | जिसके कारण उन्हें वमन अतिसार आदि होने लगते है सिर चकराता है |
विष मिश्रित अन्न के लक्षण - विष मिश्रित अन्न को खाने से मक्खियां और कौवे मर जाते है | ऐसे अन्न को आग पर डालने से चट चट शब्द अधिक बार होता है | आग की लपट का रंग हरा और नीला होता है और ज्वाला फटी हुई अलग अलग होती है इसका प्रभाव असहनीय होता है धुआं तेज होता है और ये आग जल्दी बुझ जाती है | विषयुक्त अन्न का सेवन करने से चकोर नामक पक्षी की आँखों की लालिमा नष्ट हो जाती है और जीवजीवक नामक प्राणी जल्दी मर जाता है | तोता और मैना रोने लगते है अगर बंदर विष वाला भोजन खा लेता है तो वह मल त्याग कर देता है | इस प्रकार विष युक्त भोजन को पहचान सकते है |
प्रतिकार - 1) सबसे पहले हमे विषयुक्त भोजन को पहचान करने के ढंग के बारे में पता होना ज़रूरी है |
2) बासी भोजन और फल सब्जियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए |
3) फल और सब्जियों को धोकर कर प्रयोग करना चाहिए |
4) कीटनाशक औषधियों का प्रयोग सावधानी से करना चाहिए |
5) तांबे और कांस्य, पीतल के बर्तनो में खाद्य पदार्थ नहीं रखने चाहिए |
6) बोतल बंद और पैक किये हुए पदार्थों का प्रयोग कम करना चाहिए |
7) खान पान वाली वस्तुओं को हमेशा ढककर रखना चाहिए ताकि उसमे विषैले कीट आदि ना पड़े |
8) घर में विष मिश्रित औषधि और दूसरे द्रव्य अलमारी में बंद करके लेबल लगा कर रखने चाहिए |
9) कुछ खाने वाले अन्न और जल जन्तु भी विषयुक्त होते है इनको बिना उबाले हुए और अधिक मात्रा में नहीं खाना चाहिए |
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