TOPIC- 24 यूषरस
परिचय- जल, कवाथ, स्वरस, फाण्ट, हिम आदि द्रव पदार्थ तथा औषधि द्रव के साथ मूंग, मसूर, मोठ आदि धान्य को पकाकर जो द्रव रूप तैयार होता है उसको यूष कल्पना कहा जाता है।
परिभाषा- यदि मृदुवीर्य द्रव्य का कल्क लेना हो तो एक पल (50gm) और तीक्ष्ण वीर्य द्रव्य लेने हो तो आधा कर्ष ( 5-6gm )लेकर 100ml जल में पकाकर आधा रहने पर शेष द्रव को वस्त्र से छान लेना चाहिए। यह द्रव ही यूष है।
यूष के भेद - 1) कृत यूष
2) अकृत यूष
3) कृताकृत यूष
गुण - दीपन, पाचन, वातनाशक इत्यादि।
परिचय- जल, कवाथ, स्वरस, फाण्ट, हिम आदि द्रव पदार्थ तथा औषधि द्रव के साथ मूंग, मसूर, मोठ आदि धान्य को पकाकर जो द्रव रूप तैयार होता है उसको यूष कल्पना कहा जाता है।
परिभाषा- यदि मृदुवीर्य द्रव्य का कल्क लेना हो तो एक पल (50gm) और तीक्ष्ण वीर्य द्रव्य लेने हो तो आधा कर्ष ( 5-6gm )लेकर 100ml जल में पकाकर आधा रहने पर शेष द्रव को वस्त्र से छान लेना चाहिए। यह द्रव ही यूष है।
यूष के भेद - 1) कृत यूष
2) अकृत यूष
3) कृताकृत यूष
गुण - दीपन, पाचन, वातनाशक इत्यादि।
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