TOPIC- 23 कृशरा
परिचय- कृशरा को लोकभाषा में खिचड़ी कहा जाता है। प्रायः खिचड़ी चावल मूंग की बनायी जाती है। तो आयुर्वेद में पथ्य के रूप में अतिसार में प्रयोग में लायी जाती है।
निर्माण विधि - सबसे पहले चावल भाग और मूंग की दाल 1/4 भाग डालकर दोनों को 4 गुना पानी डालकर बर्तन पर चढ़ा देते है। इस प्रकार पकने के बाद कृशरा या खिचड़ी कल्पना बनती है। इसमें उचित मात्रा में लवण, हींग और अदरक डाल सकते है।
गुण - यह बलदायक, गुरुपाकी, वातनाशक, पित्तवर्धक, कफवर्धक, मल मूत्र उत्पादक होती है।
परिचय- कृशरा को लोकभाषा में खिचड़ी कहा जाता है। प्रायः खिचड़ी चावल मूंग की बनायी जाती है। तो आयुर्वेद में पथ्य के रूप में अतिसार में प्रयोग में लायी जाती है।
निर्माण विधि - सबसे पहले चावल भाग और मूंग की दाल 1/4 भाग डालकर दोनों को 4 गुना पानी डालकर बर्तन पर चढ़ा देते है। इस प्रकार पकने के बाद कृशरा या खिचड़ी कल्पना बनती है। इसमें उचित मात्रा में लवण, हींग और अदरक डाल सकते है।
गुण - यह बलदायक, गुरुपाकी, वातनाशक, पित्तवर्धक, कफवर्धक, मल मूत्र उत्पादक होती है।
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