Tuesday, 10 January 2017

लेप कल्पना

TOPIC- 29            लेप कल्पना 

परिभाषा -  औषधि द्रव्य को गीला करके या शुष्क औषधि चूर्ण को जल आदि दद्र्वो के साथ शिला पर पीसकर पतला कल्क बनाकर देह पर प्रलेपन हेतु जो कल्पना बनाई जाती है उसे लेप कल्पना कहते है । व्रण ( जख्म ) पर किया हुआ लेप पीड़ा को शीघ्र शांत करता है। व्रण का शीघ्र शोधन करता है । और शोथरण ( swelling ) करता है अथवा सूजन दूर करता है । लेप व्रण का रोपण भी जल्दी करता है । 

भेद -  लेप के तीन भेद होते है । प्रलेप , प्रदेह , आलेप । 

1)  प्रलेप -  यह शीतल औषधियों का पतला लेप है जो आर्द्रता ( गीलापन ) को शोषण करने वाला होता है । यह रक्त और पित्त विकारों में लाभदायक है ।  

2)  प्रदेह - यह उष्ण और शीत , मोटा और पतला तथा अधिक न सूखने वाला लेप होता है । अथवा जो आर्द्रघन ,उष्ण , श्लेष्मक और वातनाशक होता है । उसे प्रदेह कहते है । यह संधान , शोधन , रोपण , वेदनानाशक होता है । इसका प्रयोग व्रणयुक्त व अव्रणयुक्त दोनों प्रकार के शोथ  में किया जाता है। 

3)  आलेप -  प्रलेप और प्रदेह के जैसे समान लक्षणों वाला आलेप होता है । यह न अधिक गाढ़ा न अधिक पतला न अधिक शीतल न अधिक उष्ण होता है । 

लेप लगाने की विधि -  लेप को सदा लोमों के रुख के विरुद्ध दिशा में लगाना चाहिए ।

प्रयोग -  शोथ का नाश करने के लिए लेप का प्रयोग किया जाता है । इसके इलावा दाह , कण्डू और रुजा को नष्ट करने के लिए भी लेप का प्रयोग किया जाता है । 

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