TOPIC- 30 शतधौत तथा सहस्त्रधौत घृत
परिचय - शत अर्थात 100 बार धोया हुआ घी शतधौत कहलाता है । और 1000 बार धोया हुआ घी सहस्त्रधौत कहता है ।
निर्माण विधि - एक कांच के चौड़े कटोरे में गाय का गाड़ा घी लेकर उसमे दोगुना शीतल जल डाल लेते है । अब अपने दोनों हाथ से खूब मसलकर पानी को निथार लेते है फिर पात्र में घी के ऊपर पानी डालकर मंथन करते है और जल निथार लेते है इस प्रकार घी को शीतल जल में डालकर धोने की इस क्रिया को सौ बार किया जाये तप शतधौत कल्पना तैयार होती है । और हज़ार बार जल से धोने से सहस्रधौत घृत कल्पना बनती है ।
प्रयोग - यह कल्पना दाह , दग्ध वेदना ( जले हुए भाग में पीड़ा ) तथा पैतिक लक्षणो का शमन या नाश करने के लिए प्रयोग होता है ।
परिचय - शत अर्थात 100 बार धोया हुआ घी शतधौत कहलाता है । और 1000 बार धोया हुआ घी सहस्त्रधौत कहता है ।
निर्माण विधि - एक कांच के चौड़े कटोरे में गाय का गाड़ा घी लेकर उसमे दोगुना शीतल जल डाल लेते है । अब अपने दोनों हाथ से खूब मसलकर पानी को निथार लेते है फिर पात्र में घी के ऊपर पानी डालकर मंथन करते है और जल निथार लेते है इस प्रकार घी को शीतल जल में डालकर धोने की इस क्रिया को सौ बार किया जाये तप शतधौत कल्पना तैयार होती है । और हज़ार बार जल से धोने से सहस्रधौत घृत कल्पना बनती है ।
प्रयोग - यह कल्पना दाह , दग्ध वेदना ( जले हुए भाग में पीड़ा ) तथा पैतिक लक्षणो का शमन या नाश करने के लिए प्रयोग होता है ।
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