TOPIC - 11 वाटिका ( वटी )
परिचय- साधारण भाषा में वाटिका को गोली कहते है। गुड़, चीनी की चासनी बनाकर या बिना चासनी बनाये ही आग पर पकाकर या बिना पकाये जल, दुध या मधु में चूर्ण मिलाकर गोली बना ली जाती है। एहि वाटिका या वटी कल्पना है ।
निर्माण विधि- औषधि चूर्ण से वटी निर्माण दो प्रकार से किया जाता है ।
1 ) अग्नि संयोग से
2) बिना अग्नि संयोग से
वटी एक ऐसी कल्पना है। जिसका कई वानस्पतिक काष्ठऔषिध के द्रव्य रस, भस्म, साधारण रस तथा गुड़ शर्करा, मधु, गुग्गल, जल, स्वरस, मूत्र आदि के संयोग से निर्माण किया जाता है।
1 ) आंच पर शर्करा या गुड़ के साथ जल मिलाकर एक स्टेनलेस स्टील के बर्तन में रखें। और पाक करें जब पककर चासनी बन जाये तोह आंच से उतार कर उसमे चूर्ण द्रव्य को अच्छी प्रकार मिला दें। ठंडा होने पर इसकी वटी बनाकर कांच के जार में सुरक्षित रख लेते है ।
2) इस विधि में औषध द्रव्यों का चूर्ण बना लिया जाता है । यदि गुग्गल में वटी निर्माण करना हो तो पहले गुग्गल को गोदुग्ध के द्वारा शुद्ध करके गर्म जल से धोकर साफ करके इमामदस्ते में गुग्गल को कूट कर थोड़ा थोड़ा चूर्ण मिलाकर कूटते रहना चाहिए। जब चूर्ण गुग्गल में पूरी तरह मिल जाये तो गोली बनाकर छाया में सुखाकर उचित पात्र में सुरक्षित रख लेते है।
वटी एक ऐसी कल्पना है। जिसका कई वानस्पतिक काष्ठऔषिध के द्रव्य रस, भस्म, साधारण रस तथा गुड़ शर्करा, मधु, गुग्गल, जल, स्वरस, मूत्र आदि के संयोग से निर्माण किया जाता है।
1 ) आंच पर शर्करा या गुड़ के साथ जल मिलाकर एक स्टेनलेस स्टील के बर्तन में रखें। और पाक करें जब पककर चासनी बन जाये तोह आंच से उतार कर उसमे चूर्ण द्रव्य को अच्छी प्रकार मिला दें। ठंडा होने पर इसकी वटी बनाकर कांच के जार में सुरक्षित रख लेते है ।
2) इस विधि में औषध द्रव्यों का चूर्ण बना लिया जाता है । यदि गुग्गल में वटी निर्माण करना हो तो पहले गुग्गल को गोदुग्ध के द्वारा शुद्ध करके गर्म जल से धोकर साफ करके इमामदस्ते में गुग्गल को कूट कर थोड़ा थोड़ा चूर्ण मिलाकर कूटते रहना चाहिए। जब चूर्ण गुग्गल में पूरी तरह मिल जाये तो गोली बनाकर छाया में सुखाकर उचित पात्र में सुरक्षित रख लेते है।
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