TOPIC - 12 मोदक
परिचय- यह वटी कल्पना का रूप है। जब वटी को अधिक परिमाण में या बड़े आकार में बनाते है। तो उसे वटक, पिण्ड, मोदक कहते है। पिप्पली मोदक बनाने के लिए सर्वप्रथम इमामदस्ते में पिप्पली को कूटकर महीन वस्त्र से छानकर रखते है। अग्नि पर स्टेनलेस स्टील के बर्तन या लोहे की कड़ाही रखकर इसमें एक भाग मधु दो भाग घी चार भाग पिपली आठ भाग शर्करा 32 भाग गोदुग्ध डालकर एक साथ पाक करते है। पाक होने पर एक भाग दालचीनी, तेजपत्र, छोटी इलाचयी, नागकेसर का बारीक चूर्ण डालकर मिलते है । ठंडा होने पर मोदक बनाकर कांच के पात्र में रख देते है।
प्रयोग- इसको धातुगत ज्वर, कास, शवास, पाण्डु तथा आरुचि में दिया जाता है ।
परिचय- यह वटी कल्पना का रूप है। जब वटी को अधिक परिमाण में या बड़े आकार में बनाते है। तो उसे वटक, पिण्ड, मोदक कहते है। पिप्पली मोदक बनाने के लिए सर्वप्रथम इमामदस्ते में पिप्पली को कूटकर महीन वस्त्र से छानकर रखते है। अग्नि पर स्टेनलेस स्टील के बर्तन या लोहे की कड़ाही रखकर इसमें एक भाग मधु दो भाग घी चार भाग पिपली आठ भाग शर्करा 32 भाग गोदुग्ध डालकर एक साथ पाक करते है। पाक होने पर एक भाग दालचीनी, तेजपत्र, छोटी इलाचयी, नागकेसर का बारीक चूर्ण डालकर मिलते है । ठंडा होने पर मोदक बनाकर कांच के पात्र में रख देते है।
प्रयोग- इसको धातुगत ज्वर, कास, शवास, पाण्डु तथा आरुचि में दिया जाता है ।
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