TOPIC - 15 लवण कल्प
परिचय - लवण को पीसकर अर्कपत्र में लपेटकर आग में पकाकर जो द्रव्य तैयार होता है। उसे लवण कल्प कहते है। अर्कपत्र, नारियल, वासापत्र आदि के साथ सैन्धव लवण को मिलाकर कपड़मिट्टी करके उसको आग में पकाकर जो धूसर वर्ण या कृष्ण वर्ण का द्रव्य प्राप्त होता है । यह सैन्धव चूर्ण ही लवण कल्प कहलाता है।
अर्क लवण कल्पना का निर्माण - पूरी तरह से पका हुआ अर्क पत्र 500ग्राम और सैंधव लवण का चूर्ण 500 ग्राम और मिटटी के तवे 10 लेकर उसमें अर्क के पके हुए पत्र फैला देते है। फिर उसपर पतली परत सैंधव चूर्ण को फैलाकर ऊपर से आक के पत्र उलटे करके रख देते है । इसके बाद अन्य तवे को उल्टा रखकर दोनों तवों के किनारे मिलाकर संधिबंधन कर गुड़, चूना, मिटटी से कपड़मिट्टी करके सूखा लेते है। फिर गजपुट विधि से पाक होने के बाद शीत होने पर उसको खोलकर कज्जल वर्ण या धूसर वर्ण के लवण को निकाल कर खरल में बारीक पीसकर कांच की शीशी में रख लेते है। यह अर्क लवण है।
मात्रा - 250mg से 500mg
अनुपान - उष्ण जल, दही, मस्तु से ।
प्रयोग - इसका प्रयोग उदररोगों में किया जाता है। जैसे प्लीहारोग, यकृतरोग, उदरशूल, विबंधरोग, अफारा आदि में ।
परिचय - लवण को पीसकर अर्कपत्र में लपेटकर आग में पकाकर जो द्रव्य तैयार होता है। उसे लवण कल्प कहते है। अर्कपत्र, नारियल, वासापत्र आदि के साथ सैन्धव लवण को मिलाकर कपड़मिट्टी करके उसको आग में पकाकर जो धूसर वर्ण या कृष्ण वर्ण का द्रव्य प्राप्त होता है । यह सैन्धव चूर्ण ही लवण कल्प कहलाता है।
अर्क लवण कल्पना का निर्माण - पूरी तरह से पका हुआ अर्क पत्र 500ग्राम और सैंधव लवण का चूर्ण 500 ग्राम और मिटटी के तवे 10 लेकर उसमें अर्क के पके हुए पत्र फैला देते है। फिर उसपर पतली परत सैंधव चूर्ण को फैलाकर ऊपर से आक के पत्र उलटे करके रख देते है । इसके बाद अन्य तवे को उल्टा रखकर दोनों तवों के किनारे मिलाकर संधिबंधन कर गुड़, चूना, मिटटी से कपड़मिट्टी करके सूखा लेते है। फिर गजपुट विधि से पाक होने के बाद शीत होने पर उसको खोलकर कज्जल वर्ण या धूसर वर्ण के लवण को निकाल कर खरल में बारीक पीसकर कांच की शीशी में रख लेते है। यह अर्क लवण है।
मात्रा - 250mg से 500mg
अनुपान - उष्ण जल, दही, मस्तु से ।
प्रयोग - इसका प्रयोग उदररोगों में किया जाता है। जैसे प्लीहारोग, यकृतरोग, उदरशूल, विबंधरोग, अफारा आदि में ।
No comments:
Post a Comment