Friday, 16 December 2016

घनसत्व और अमृतसत्व

TOPIC- 8              घनसत्व    

परिचय- अनेक वानस्पतिक द्रव्यों में स्टार्च अधिक मात्रा में पाया जाता है। यह स्टार्च बहुत कार्मुक होता है। इन वनस्पतियों के टुकड़े करके कुछ मोटा चूर्ण बनाकर जल से बार-बार धोकर सुखाकर सूक्ष्म पाउडर तैयार किया जाता है । यही सत्व, सार आदि नाम से जाना जाता है । 

TOPIC- 9             अमृतसत्व 

घटक द्रव्य - आर्द्र अमृता ( गुडूची या गिलोय )
                    काण्ड - 4  kg.  
                    जल  -  16 लीटर

निर्माण विधि - अमृता को गुडूची या गिलोय भी कहा जाता है। ताज़ा हरी गुडूची जो अंगुली जितनी मोटी हो को 4 किलोग्राम मात्रा में ले । पानी से साफ करके टुकड़े कर लें। अब इसको इमामदस्ते में कूट ले और 16 लीटर जल में कवाथ कर लें। जब 4 लीटर शेष रह जाये तो बार बार कड़छी से हिलाते रहे जब तक हलवे जैसा ठोस न हो जाये। इसके बाद इसको ठंडा होने पर धूप में रखकर गोली जैसा बना लें।  

प्रयोग - इसका प्रयोग ज्वर में किया जाता है । 

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