TOPIC- 8 घनसत्व
परिचय- अनेक वानस्पतिक द्रव्यों में स्टार्च अधिक मात्रा में पाया जाता है। यह स्टार्च बहुत कार्मुक होता है। इन वनस्पतियों के टुकड़े करके कुछ मोटा चूर्ण बनाकर जल से बार-बार धोकर सुखाकर सूक्ष्म पाउडर तैयार किया जाता है । यही सत्व, सार आदि नाम से जाना जाता है ।
TOPIC- 9 अमृतसत्व
घटक द्रव्य - आर्द्र अमृता ( गुडूची या गिलोय )
काण्ड - 4 kg.
जल - 16 लीटर
निर्माण विधि - अमृता को गुडूची या गिलोय भी कहा जाता है। ताज़ा हरी गुडूची जो अंगुली जितनी मोटी हो को 4 किलोग्राम मात्रा में ले । पानी से साफ करके टुकड़े कर लें। अब इसको इमामदस्ते में कूट ले और 16 लीटर जल में कवाथ कर लें। जब 4 लीटर शेष रह जाये तो बार बार कड़छी से हिलाते रहे जब तक हलवे जैसा ठोस न हो जाये। इसके बाद इसको ठंडा होने पर धूप में रखकर गोली जैसा बना लें।
प्रयोग - इसका प्रयोग ज्वर में किया जाता है ।
परिचय- अनेक वानस्पतिक द्रव्यों में स्टार्च अधिक मात्रा में पाया जाता है। यह स्टार्च बहुत कार्मुक होता है। इन वनस्पतियों के टुकड़े करके कुछ मोटा चूर्ण बनाकर जल से बार-बार धोकर सुखाकर सूक्ष्म पाउडर तैयार किया जाता है । यही सत्व, सार आदि नाम से जाना जाता है ।
TOPIC- 9 अमृतसत्व
घटक द्रव्य - आर्द्र अमृता ( गुडूची या गिलोय )
काण्ड - 4 kg.
जल - 16 लीटर
निर्माण विधि - अमृता को गुडूची या गिलोय भी कहा जाता है। ताज़ा हरी गुडूची जो अंगुली जितनी मोटी हो को 4 किलोग्राम मात्रा में ले । पानी से साफ करके टुकड़े कर लें। अब इसको इमामदस्ते में कूट ले और 16 लीटर जल में कवाथ कर लें। जब 4 लीटर शेष रह जाये तो बार बार कड़छी से हिलाते रहे जब तक हलवे जैसा ठोस न हो जाये। इसके बाद इसको ठंडा होने पर धूप में रखकर गोली जैसा बना लें।
प्रयोग - इसका प्रयोग ज्वर में किया जाता है ।
No comments:
Post a Comment