Topic -11
आहार विष लक्षण, विरुद्ध द्रव्यों का सेवन |
विरुद्ध द्रव्यों का सेवन-
जिन द्रव्यों को परस्पर एक साथ मिलाकर खाने से या पीने से शरीर के अंदर जाकर विष वाला प्रभाव पैदा होता है उन द्रव्यों को विरुद्ध द्रव्य कहते है | अर्थात जिस द्रव्य को खाने से हमारे शरीर के अंदर के दोष अपने स्थान से उभर कर शरीर में ही फ़ैल जायें और बाहर नहीं निकले वे सभी आहार द्रव्य अहितकर होते है | इसे ही विरुद्ध या वैरोधिक आहार कहा जाता है | इन द्रव्यों में कुछ द्रव्य परस्पर गुण विरुद्ध, कुछ संयोग विरुद्ध, कुछ संस्कार विरुद्ध और कुछ देश, काल, मात्रा आदि विरुद्ध होते है |
1) गुण विरुद्ध -
दो द्रव्यों के गुण विरुद्ध होने पर यदि इनको साथ में मिलाकर खाया जाता है तो वह गुण विरुद्ध होता है | जैसे - मछली और दूध दोनों के मधुर होने पर कफ की वृद्धि होती है | इसकी प्रकार दूध और कुल्थी का प्रयोग एक साथ करने से विपरीत प्रभाव देखने को मिलते है |
2) संयोग विरुद्ध -
कुछ द्रव्यों को मिलाकर खाने से या एक को खाकर दूसरे को खाना संयोग विरुद्ध कहा जाता है | जैसे दूध के साथ अम्ल ( खट्टे ) द्रव्यों को खाने से यह दोषों का प्रकोप करते है जोकि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है | सत्तू खाने के बाद जल का सेवन, लहसुन और मूली खाने के बाद दूध नहीं पीना चाहिए |
3) संस्कार विरुद्ध -
जिन वस्तुओं को पकाकर या गर्म करके खाने से हमारे शरीर की हानि होती है उनके संस्कार विरुद्ध कहा जाता है | जैसे दही को गर्म करके खाना संस्कार विरुद्ध होता है | यह शरीर में कई दोष पैदा करता है | इसी प्रकार गर्म किया हुआ शहद ज़हर के समान माना गया है |
4) देश विरुद्ध -
हर प्रदेश की जलवायु अलग अलग होती है उनकी विशेषताओं को ध्यान में न रखकर खाद्य पदार्थों का सेवन करना देश विरुद्ध कहलाता है | जैसे - मरुप्रदेश में रुक्ष व तीक्ष्ण द्रव्यों का सेवन और अनूप प्रदेश में स्निग्ध व शीत वीर्य द्रव्यों का सेवन हानिकारक होता है |
5) काल विरुद्ध -
ऋतु, आहार, और काल के अनुसार हमारे शरीर में दोषों की स्थिति बदलती रहती है | इसको अनदेखा कर भोजन खाना काल विरुद्ध कहलाता है | जैसे - रात को सत्तू खाना , सर्दी में शीत और रुक्ष पदार्थों का सेवन करना तथा गर्मी के मौसम में कटु और उष्ण द्रव्यों का सेवन करना हानिकारक होता है |
6) मात्रा विरुद्ध -
शहद और घी को समान मात्रा में मिलाकर खाना मात्रा विरुद्ध कहलाता है|
7) स्वभाव विरुद्ध -
कुछ द्रव्य स्वभाव से गुरु और ना पचने वाले होते है | जैसे - मलाई, रबड़ी, दूध, गुड़ और बेसन के बने तले पदार्थ आदि स्वभाव विरुद्ध द्रव्य कहलाते है |
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