स्वरस कल्पना, स्वरस मात्रा
स्वरस कल्पना: किसी भी द्रव्य का अपना जो रस होता है। उसको स्वरस कहा जाता है अर्थात भूमि से तुरंत उखाड़ी गई हरी औषधि को निचोड़ या दबाकर जो रस निकलता है। उसको स्वरस कहते है। जैसे कि तुलसी पत्र का स्वरस । कुछ द्रव्य ऐसे होते है जिनका स्वरस साधारण विधि से नही निकाला जा सकता, उन द्रव्यों का स्वरस निकालने के लिए जिस विशेष विधि का प्रयोग किया जाता है। उसको पुटपाक विधि कहते है । जैसे कि वासा पत्र , निम्बपत्र , विल्वादी पत्र ।
स्वरस मात्रा (DOSE): 1/2 पल = 2 तोला = 20 ML
पुटपाक स्वरस की मात्रा = 1 पल = 4 तोला = 40 ML
स्वरस एक गुरु कल्पना है इसलिए ताज़ा औषध द्रव्यों की मात्रा 20 ML सूखे द्रव्यों की मात्रा 40 ML तथा अतितीक्ष्ण द्रव्यों का स्वरस 10 ML देना चाहिए ।
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स्वरस कल्पना: किसी भी द्रव्य का अपना जो रस होता है। उसको स्वरस कहा जाता है अर्थात भूमि से तुरंत उखाड़ी गई हरी औषधि को निचोड़ या दबाकर जो रस निकलता है। उसको स्वरस कहते है। जैसे कि तुलसी पत्र का स्वरस । कुछ द्रव्य ऐसे होते है जिनका स्वरस साधारण विधि से नही निकाला जा सकता, उन द्रव्यों का स्वरस निकालने के लिए जिस विशेष विधि का प्रयोग किया जाता है। उसको पुटपाक विधि कहते है । जैसे कि वासा पत्र , निम्बपत्र , विल्वादी पत्र ।
स्वरस मात्रा (DOSE): 1/2 पल = 2 तोला = 20 ML
पुटपाक स्वरस की मात्रा = 1 पल = 4 तोला = 40 ML
स्वरस एक गुरु कल्पना है इसलिए ताज़ा औषध द्रव्यों की मात्रा 20 ML सूखे द्रव्यों की मात्रा 40 ML तथा अतितीक्ष्ण द्रव्यों का स्वरस 10 ML देना चाहिए ।
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